पति को शराबी कहकर बदनाम करना भी क्रूरता हाई कोर्ट का बड़ा निर्णय

पति को शराबी कहकर बदनाम करना भी मानसिक क्रूरता – मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का बड़ा फैसला

आज के समाज में marital life में सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है आपसी विश्वास का टूटना, और जब झूठे आरोप लगाए जाते हैं तो रिश्ते और भी कमजोर हो जाते हैं। इसी विषय पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का एक बेहद महत्वपूर्ण निर्णय सामने आया है, जिसमें यह साफ कहा गया कि— “पति पर शराबी होने का झूठा आरोप लगाना मानसिक क्रूरता है।”

👉 केस का संक्षिप्त परिचय

यह मामला X बनाम Y (प्रथम अपील संख्या 334) से जुड़ा है, जिसमें पत्नी ने पति पर गंभीर आरोप लगाए कि वह शराब पीता है, रोज घर में झगड़ा करता है और परिवार को परेशान करता है। लेकिन अदालत में न तो मेडिकल रिपोर्ट, न कोई शिकायत, न कोई गवाह और न ही कोई अन्य सबूत प्रस्तुत किया गया।

अदालत ने कहा कि— “झूठा आरोप लगाना आसान है, लेकिन उसे साबित करना आवश्यक है। जब आरोप झूठा हो, तो वह पति की सामाजिक प्रतिष्ठा और मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचाता है।”

👉 केस के महत्वपूर्ण तथ्य

  • पति-पत्नी की शादी कई साल पहले हुई थी।
  • पत्नी बार-बार पति को शराबी कहकर बदनाम करती थी।
  • पति ने कोर्ट में कहा कि वह शराब नहीं पीता और पत्नी समाज में उसकी छवि खराब कर रही है।
  • अदालत ने पाया कि:
    • न कोई शिकायत दर्ज की गई
    • न कोई मेडिकल एविडेंस
    • न कोई पुलिस की रिपोर्ट
    • न कोई प्रत्यक्ष गवाह

इसलिए कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि पत्नी के आरोप पूरी तरह मनगढ़ंत और झूठे हैं।

👉 मानसिक क्रूरता क्यों माना गया?

अदालत ने कहा कि शराब जैसी बुरी आदत का झूठा आरोप—

  • पति की सामाजिक प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाता है
  • परिवार और रिश्तेदारों के सामने इज्ज़त को ठेस पहुँचती है
  • कार्यक्षेत्र में भी छवि खराब होती है
  • मानसिक तनाव, चिंता और अवसाद का कारण बनता है

यह मानसिक क्रूरता (Mental Cruelty) है, और पति को तलाक का पूरा अधिकार मिलता है।

👉 कानूनी आधार: Section 13(1)(ia), Hindu Marriage Act

इस प्रावधान के तहत, किसी भी प्रकार की मानसिक या शारीरिक क्रूरता तलाक का वैध कारण है। हाई कोर्ट ने यह माना कि— “झूठे आरोप लगाना भी मानसिक क्रूरता है।”

सुप्रीम कोर्ट के प्रमुख फैसले जिनका हवाला दिया गया:

  • Vishwanath Agrawal v. Sarla Agrawal
  • Narendra v. K. Meena
  • K. Srinivas v. K. Sunita

इन सभी फैसलों में कहा गया है कि फर्जी आरोप विवाह को विषैला बनाते हैं और तलाक का वैध आधार हैं।

👉 हाई कोर्ट का अंतिम निर्णय

  • पत्नी के सभी आरोप झूठे पाए गए।
  • अदालत ने इसे मानसिक क्रूरता माना।
  • पति को तलाक देने का आदेश पारित किया गया।
  • Family Court का आदेश पलट दिया गया।

इस निर्णय का संदेश स्पष्ट है— “Marriage is not a platform for allegations.”

👉 शराब पीने वाले सभी मामलों में क्या आरोप झूठा माना जाएगा?

नहीं। यदि पति वास्तव में शराब पीकर हिंसा करता है, तो पत्नी के पास अधिकार हैं—

  • शिकायत दर्ज करने का
  • DV Case दायर करने का
  • Maintenance मांगने का

लेकिन बिना सबूत के आरोप लगाना—मानसिक क्रूरता है।

👉 अगर आपके ऊपर भी झूठे आरोप लगे हैं तो क्या करें?

  • शांत रहें
  • सभी सबूत इकट्ठा करें
  • मैसेज / कॉल रिकॉर्ड सुरक्षित रखें
  • Medical & police records रखें
  • गवाह तैयार करें
  • Family Court में याचिका दर्ज करें
  • सही कानूनी सलाह लें

👉 Delhi Law Firm कैसे मदद करता है?

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  • Maintenance
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  • Marriage Registration

👉 निष्कर्ष

अगर आप भी matrimonial dispute, झूठे आरोप, शराब के झूठे आरोप, मानसिक क्रूरता, या किसी परिवारिक विवाद से जूझ रहे हैं— तो घबराइए मत। Delhi Law Firm आपकी सहायता के लिए हमेशा तैयार है।

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